॥ श्री गणेशाय नमः ॥
दशावतारस्तोत्रमानन्दतीर्थ
मत्स्यकरूप लयोदविहारिन्वेदविनेतृ चतुर्मुखवन्द्य ।
कूर्मसुरूपक मन्दरधारिन्लोकविधारक देववरेण्य ॥ १ ॥
सूकररूपक दानवशत्रो भूमिविधारक यज्ञवराङ्ग ।
देव नृसिंह हिरण्यकशत्रो सर्वभयान्तक दैवतबन्धो ॥ २ ॥
वामन वामनमाणववेष दैत्यवरान्तक कारणरूप ।
राम भृगूद्वह सूर्जितदीप्ते क्षत्रकुलान्तक शम्भुवरेण्य ॥ ३ ॥
राघव राघव राक्षसशत्रो मारुतिवल्लभ जानकीकान्त ।
देवकीनन्दन सुन्दररूप रुक्मिणीवल्लभ पाण्डवबन्धो ॥ ४ ॥
देवकीनन्दन नन्दकुमार वृन्दावनाञ्चन गोकुलचन्द्र ।
कन्दफलाशन सुन्दररूप नन्दितगोकुलवन्दितपाद ॥ ५ ॥
इन्द्रसुतावननन्दकहस्त चन्दनचर्चितसुन्दरीनाथ ।
इन्दीवरोदरदलनयन मन्दरधारिन्गोविन्द वन्दे ॥ ६ ॥
चन्द्रशतानन कुन्दसुहास नन्दितदैवतानन्दसुपूर्ण ।
दैत्यविमोहक नित्यसुखादे देवसुबोधक बुद्धस्वरूप ॥ ७ ॥
दुष्टकुलान्तक कल्किस्वरूप धर्मविवर्धनमूल युगादे ।
नारायणामलकारणमूर्ते पूर्णगुणार्णव नित्यविबोध ॥ ८ ॥
आनन्दतीर्थमुनीन्द्रकृता हरिगाथा ।
पापहरा शुभा नित्यसुखार्था ॥ ९ ॥
इति श्रीआनन्दतीर्थविरचितं दशावतारस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
॥ ॐ श्यामाशिवभ्यां नमः ॥