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॥ श्री गणेशाय नमः ॥

शि­वा­ष्ट­ना­मा­नि


शि­वो म­हे­श्व­र­श्चै­व रु­द्रो वि­ष्णुः पि­ता­म­हः ।
सं­सा­र­वै­द्यः स­र्व­ज्ञः प­र­मा­त्मे­ति चा­ष्ट­क­म् ॥

शि­वा­य न­मः । म­हे­श्व­रा­य । रु­द्रा­य । वि­ष्ण­वे ।
पि­ता­म­हा­य । सं­सा­र­वै­द्या­य । स­र्व­ज्ञा­य ।
प­र­मा­त्म­ने न­मः । श­र्वा­य क्षि­ति­मू­र्त­ये न­मः ।
भ­वा­य ज­ल­मू­र्त­ये न­मः । रु­द्रा­य ते­जो­मू­र्त­ये न­मः ।
उ­ग्रा­य वा­यु­मू­र्त­ये न­मः । भी­मा­य आ­का­श­मू­र्त­ये न­मः ।
प­शु­प­त­ये य­ज­मा­न­मू­र्त­ये न­मः । ई­शा­ना­य सू­र्य­मू­र्त­ये न­मः ।
म­हा­दे­वा­य सो­म­मू­र्त­ये न­मः । स­र्व­ज्ञा­य न­मः ।
उ­ग्रा­य । श­ङ्क­रा­य । शि­वा­य । श­म्भ­वे ।
ई­शा­ना­य । म­हो­ग्रा­य । भू­ता­धि­प­त­ये न­मः ॥

इ­ति शि­वा­ष्ट­ना­मा­नि स­मा­प्ता ॥

॥ ॐ श्यामाशिवभ्यां नमः ॥