॥ श्री गणेशाय नमः ॥
महागौरी देवी सधन
मन्त्र ।
ॐ देवी महागौर्यै नमः ॥
प्रर्थन ।
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः ।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा ॥
स्तुति ।
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥
ध्यान ।
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम् ।
सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम् ॥
पूर्णन्दु निभाम्गौरी सोमचक्रस्थिताम्अष्टमम्महागौरी त्रिनेत्राम् ।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम् ॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम् ।
मञ्जीर हार केयूर किङ्किणि रत्नकुण्डल मण्डिताम् ॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम्त्रैलोक्य मोहनम् ।
कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम् ॥
स्तोत्र ।
सर्वसङ्कट हन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम् ।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम् ॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम् ।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम् ॥
त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम् ।
वददम्चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम् ॥
कवच ।
ॐकारः पातु शीर्षो माँ हीं बीजम्माँ हृदयो ।
क्लीं बीजम्सदापातु नभो गृहो च पादयो ॥
ललाटम्कर्णो हुं बीजम्पातु महागौरी माँ नेत्रम् घ्राणो ।
कपोत चिबुको फट्पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो ॥
आर्ति ।
जय महागौरी जगत की माया ।
जय उमा भवानी जय महामाया ॥
हरिद्वार कनखल के पासा ।
महागौरी तेरा वहा निवास ॥
चन्द्रकली और ममता अम्बे ।
जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे ॥
भीमा देवी विमला माता ।
कौशिक देवी जग विख्यता ॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा ।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ॥
सती (सत) हवन कुंड में था जलाया ।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया ॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया ।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया ।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया ॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता ।
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो ।
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो ॥
इति महागौरी देवी सधन ॥
॥ ॐ श्यामाशिवभ्यां नमः ॥