॥ श्री गणेशाय नमः ॥
माँ छिन्नमस्ता साधना विधि
माँ छिन्नमस्ता देवी मन्त्र ।
मुख्य नाम : छिन्नमस्ता । अन्य नाम : छिन्न-मुंडा छिन्न-मुंडधरा आरक्ता रक्त-नयना रक्त-पान-परायणा वज्रवराही । भैरव : क्रोध-भैरव । भगवान विष्णु के २४ अवतारों से सम्बद्ध : भगवान नृसिंह अवतार । तिथि : वैशाख शुक्ल चतुर्दशी । कुल : काली कुल । दिशा : उत्तर । स्वभाव : उग्र तामसी गुण सम्पन्न । कार्य : सभी प्रकार के कार्य हेतु दृढ़ निश्चितता फिर वह अपना मस्तक ही अपने हाथों से क्यों न काटना हो अहंकार तथा समस्त प्रकार के अवगुणों का छेदन करने हेतु शक्ति प्रदाता कुण्डलिनी जाग्रति में सहायक । शारीरिक वर्ण : करोड़ों उदित सूर्य के प्रकाश समान कान्तिमयी ॥
गायत्री मन्त्र ।
ॐ वैरोचन्यै विद्महे
छिन्नमस्तायै धीमहि
तन्नो देवी प्रचोदयात् ॥
मूल मन्त्र ।
श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीये हूं हूं फट्स्वाहा ॥
नवग्रह दोष निवारण मन्त्र ।
ॐ श्रीं ह्रीं ऐं क्लीं वं वज्रवैरोचिनिये हुम ॥
वशीकरण मन्त्र ।
“हुं” या “हुं स्वाहा” या “क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं वज्र वैरोचनीये ह्रीं ह्रीं फट्स्वाहा” ॥
धर्म अर्थ काम मोक्ष प्राप्ति मन्त्र ।
ॐ हुं स्वाहा ॐ ॥
पापो से मुक्ति दिलवाने का मन्त्र ।
हूं श्री ह्री ऐं वज्र वैरोचनीये हूं हूं फट्स्वाहा ॥
वाक शक्ति का मन्त्र ।
श्रीं ह्रीं हूं ऐं वज्रवैरोचनीये श्रीं ह्रीं हूं ऐं स्वाहा ॥
ऐश्वर्य और समोहन शक्ति देने का मन्त्र ।
ह्रीं हूं ऐं वज्र वैरोचनीये हुं फट्स्वाहा ॥
काम वशीकरण मन्त्र ।
क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं वज्र वैरोचनीये ह्रीं ह्रीं फट्स्वाहा ॥
कवच ।
हुं बीजात्मिका देवी मुण्डकर्त्रिधरा परा ।
ह्रदयं पातु सा देवी वर्णिनी डाकिनी युता ॥
श्रीं ह्रीं हुं ऐं चैव देवी पूर्वस्यां पातु सर्वदा ।
सर्वांग मे सदा पातु छिन्नमस्ता महाबला ।
वज्रवैरोचनीये हुं फट्बीजसमन्विता ।
उत्तरस्यां तथाग्नां च वारुणे नैऋतेऽवतु ॥
इन्द्राक्षी भैरवी चैव सितांगी च सहारिणी ।
सर्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै ॥
अक्षर मन्त्र ।
हूं ॥
ॐ हूं ॐ ॥
ॐ हूं स्वाहा ॥
ॐ हूं स्वाहा ॐ ॥
ह्रीं क्लीं श्रीं ऐं हूं फट् ॥
॥ ॐ श्यामाशिवभ्यां नमः ॥