॥ श्री गणेशाय नमः ॥
माँ भुवनेश्वरी स्तुति
जगत जननी मुस्कराती जपा कुसुमवत रक्त वर्णा चतुर्भुजा त्रिनेत्रा अभय और वर देने वाली माँ भुवनेश्वरी माँ जग में भरा घोर अंधेरा हमें चाहिये अभय दान माँ आप हैं त्रिभुवन की स्रष्टा आप ही हैं सौभाग्यकारिणी मान बचा दें आप हमारा पूरी कर दें सभी कामना हम करते आपकी वंदना भूल हमारी कर दें माफ़ जग परिपालक भुवनेश्वरी माँ ॥
॥ ॐ श्यामाशिवभ्यां नमः ॥