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॥ श्री गणेशाय नमः ॥

का­ल­रा­त्रि दे­वी स­ध­न


म­न्त्र । ॥ ॐ दे­वी का­ल­रा­त्र्यै न­मः ॥ प्र­र्थ­न । ए­क­वे­णी ज­पा­क­र्ण­पू­रा न­ग्ना ख­रा­स्थि­ता । ल­म्बो­ष्ठी क­र्णि­का­क­र्णी तै­ला­भ्य­क्त श­री­रि­णी ॥ वा­म­पा­दो­ल्ल­स­ल्लो­ह ल­ता­क­ण्ट­क­भू­ष­णा । व­र्ध­न मू­र्ध­ध्व­जा कृ­ष्णा का­ल­रा­त्रि­र्भ­य­ङ्क­री ॥ स्तु­ति । या दे­वी स­र्व­भू­‍ते­षु माँ का­ल­रा­त्रि रू­पे­ण सं­स्थि­ता । न­म­स्त­स्यै न­म­स्त­स्यै न­म­स्त­स्यै न­मो न­मः ॥ ध्या­न । क­रा­ल­व­न्द­ना घो­रां मु­क्त­के­शी च­तु­र्भु­जा­म् । का­ल­रा­त्रि­म्क­रा­लिं­का दि­व्या­म्वि­द्यु­त­मा­ला वि­भू­षि­ता­म् ॥ दि­व्य­म्लौ­ह­व­ज्र ख­ड्ग वा­मो­घो­र्ध्व क­रा­म्बु­जा­म् । अ­भ­य­म्व­र­दा­म्चै­व द­क्षि­णो­ध्वा­घः पा­र्णि­का­म्म­म् ॥ म­हा­मे­घ प्र­भा­म्श्या­मा­म्त­क्षा चै­व ग­र्द­भा­रू­ढ़ा । घो­र­दं­श का­रा­ला­स्यां पी­नो­न्न­त प­यो­ध­रा­म् ॥ सु­ख प­प्र­स­न्न व­द­ना स्मे­रा­न्न स­रो­रू­हा­म् । ए­व­म्स­चि­य­न्त­ये­त्का­ल­रा­त्रि­म्स­र्व­का­म्स­मृ­ध्दि­दा­म् ॥ स्तो­त्र । हीं का­ल­रा­त्रि श्रीं क­रा­ली च क्लीं क­ल्या­णी क­ला­व­ती । का­ल­मा­ता क­लि­द­र्प­ध्नी क­म­दी­श कु­पा­न्वि­ता ॥ का­म­बी­ज­ज­पा­न्दा क­म­बी­ज­स्व­रू­पि­णी । कु­म­ति­घ्नी कु­ली­न­र्ति­ना­शि­नी कु­ल का­मि­नी ॥ क्लीं ह्रीं श्रीं म­न्त्र्व­र्णे­न का­ल­क­ण्ट­क­घा­ति­नी । कृ­पा­म­यी कृ­पा­धा­रा कृ­पा­पा­रा कृ­पा­ग­मा ॥ क­व­च । ऊँ क्लीं मे हृ­द­य­म्पा­तु पा­दौ श्री­का­ल­रा­त्रि । ल­ला­टे स­त­त­म्पा­तु तु­ष्ट­ग्र­ह नि­वा­रि­णी ॥ र­स­ना­म्पा­तु कौ­मा­री भै­र­वी च­क्षु­षो­र्भ­म । क­टौ पृ­ष्ठे म­हे­शा­नी क­र्णो­श­ङ्क­र­भा­मि­नी ॥ व­र्जि­ता­नी तु स्था­ना­भि या­नि च क­व­चे­न हि । ता­नि स­र्वा­णि मे दे­वी­स­त­तं­पा­तु स्त­म्भि­नी ॥ आ­र्ति । का­ल­रा­त्रि ज­य ज­य म­हा­का­ली । का­ल के मुं­ह से ब­चा­ने वा­ली ॥ दु­ष्ट सं­घा­र­क ना­म तु­म्हा­रा । म­हा­चं­डी ते­रा अ­व­ता­रा ॥ पृ­थ्वी औ­र आ­का­श पे सा­रा । म­हा­का­ली है ते­रा प­सा­रा ॥ ख­ड्ग ख­प्प­र र­ख­ने वा­ली । दु­ष्टों का ल­हू च­ख­ने वा­ली ॥ क­ल­क­त्ता स्था­न तु­म्हा­रा । स­ब ज­ग­ह दे­खूं ते­रा न­जा­रा ॥ स­भी दे­व­ता स­ब न­र­ना­री । गा­वें स्तु­ति स­भी तु­म्हा­री ॥ र­क्त­द­न्ता औ­र अ­न्न­पू­र्णा । कृ­पा क­रे तो को­ई भी दुः­ख ना ॥ ना को­ई चिं­ता र­हे ना बी­मा­री । ना को­ई ग­म ना सं­क­ट भा­री ॥ उ­स प­र क­भी क­ष्ट ना आ­वे । म­हा­का­ली माँ जि­से ब­चा­वे ॥ तू भी भ­क्त प्रे­म से क­ह । का­ल­रा­त्रि माँ ते­री ज­य ॥ इ­ति का­ल­रा­त्रि दे­वी स­ध­न ॥

॥ ॐ श्यामाशिवभ्यां नमः ॥