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॥ श्री गणेशाय नमः ॥

गो­वि­न्द­स्तो­त्र­म्


श्री­व­र बा­ल­क रि­ङ्ख­ण­त­त्प­र प­द्म­द­ला­य­त-लो­च­न दे­व । कु­न्त­ल-स­न्त­ति­-रा­जि­त­स­न्मु­ख दे­व­कि­न­न्द­न गो­वि­न्द व­न्दे ॥ १ ॥ हा­ट­क-नू­पु­र-श­क्व­रि­-पू­र्व­क-भू­ष­ण-भू­षि­त श्या­म­ल­दे­ह । कु­न्त­ल-स­न्त­ति­-रा­जि­त­स­न्मु­ख दे­व­कि­न­न्द­न गो­वि­न्द व­न्दे ॥ २ ॥ दे­व­कि­न­न्द­न न­न्द­व­न्दि­त म­ध्व­वि­भी­ष­ण­सा­न्द्र­स­रो­ज । कु­न्त­ल-स­न्त­ति­-रा­जि­त­स­न्मु­ख दे­व­कि­न­न्द­न गो­वि­न्द व­न्दे ॥ ३ ॥ अ­द्व­य­वि­क्र­म गो­वि­न्द­कि­ङ्क­र श्री­म­ध्व­व­ल्ल­भ गु­रु­त­र न­मः । कु­न्त­ल-स­न्त­ति­-रा­जि­त­स­न्मु­ख दे­व­कि­न­न्द­न गो­वि­न्द व­न्दे ॥ ४ ॥ इ­ति श्री­म­त्क­ल्या­णी­दे­वी वि­र­चि­तं गो­वि­न्द­स्तो­त्रं सं­पू­र्ण­म् ॥

॥ ॐ श्यामाशिवभ्यां नमः ॥